Drishyam 2 Review in Hindi मूवी रिव्यु ‘दृश्यम 2’
दृश्यम 2 कास्ट – Drishyam 2 movie Cast Name
Drishyam 2 Movie cast Name
अजय देवगन, तब्बू, अक्षय खन्ना, श्रिया सरन, इशिता दत्ता, रजत कपूर, मृणाल जाधव, नेहा जोशी, कमलेश सावंत और सौरभ शुक्ला
Drishyam 2 Movie Writer
जीतू जोसेफ, अमिल कीयन खान और अभिषेक पाठक
Drishyam 2 Movie Director
निर्देशक Director
अभिषेक पाठक
Creator
कुमार मंगत और भूषण कुमार आदि।
Drishyam 2 Review in Hindi
Drishyam 2 Review in Hindi : हिट फिल्म ‘दृश्यम’ और उसकी सीक्वल ‘दृश्यम 2’ मूल रूप से मलयालम फिल्म की रीमेक हैं । ‘दृश्यम’ हिंदी में भी हिट रही और अब ‘दृश्यम 2’ भी उसी राह पर चल पड़ी है। फिल्म ‘दृश्यम 2’ की असली स्टार इसकी कसी हुई कहानी है।
हालांकि ओरिजिनल फिल्म में फिल्म का शुरुआती हिस्सा थोड़ा धीमा लगता है, लेकिन इसके रीमेक में निर्देशक अभिषेक पाठक ने फिल्म को थोड़ा कस दिया है। दिलचस्प बात यह है कि मलयालम में बनी ‘दृश्यम 2’ को देखने के बाद भी इसके हिंदी रीमेक को देखने की उत्सुकता आखिर तक बनी रहती है। फिल्म का क्लाइमेक्स ही फिल्म की असल आत्मा है और इसे जानकर भी बार-बार इसको देखने कम मन करता है।
दृश्यम को देखकर ऐसा लग रहा था कि कहानी ख़त्म हो चुकी है अब इसके दूसरे भाग की क्या आवश्यकता है। परन्तु दृश्यम 2 की कहानी को देखने के बाद है की आगे की कहानी ऐसी भी है।
दृश्यम 2 में सारे किरदार पहले वाले ही हैं इसमें किसी की भूमिका को बदला नहीं गया है, जो दर्शकों को और भी ज्यादा बांधे रखने में मजबूर करते हैं।
Watch Drishyam 2 Trailer
‘दृश्यम 2’ की कहानी की शुरुवात
कहानी वहां से शुरू होती है जहां 7 साल पहले विजय फावड़ा लेकर थाने से बाहर निकलता है, इस बात से अनजान कि उसके अपराध का कोई गवाह हो सकता है, हालांकि वह गवाह खुद हत्या का दोषी है और जेल जा रहा है। अब आती है कहानी, आज के समय में। सात साल बाद विजय ने अपना सपना पूरा किया है। वह एक सिनेमा हॉल के मालिक बन गए हैं।
वह उनकी कहानी पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी बेटी अंजू (इशिता दत्ता) अभी भी अतीत की घटनाओं से सदमे में है और मिर्गी से पीड़ित है। छोटी बेटी अनु (मृणाल जाधव) किशोरावस्था में प्रवेश कर चुकी है। पत्नी नंदिनी (श्रिया सरन) पड़ोसी जेनी (नेहा जोशी) के साथ अपने सुख-दुख साझा करती रहती है, इस बात से अनजान कि अतीत की काली छाया ने उन्हें नहीं छोड़ा है।
विजय सालगाँवकर भले ही आर्थिक रूप से समृद्ध हो गए हों, लेकिन सामाजिक रूप से इस बात को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियाँ हैं कि क्या विजय अपराधी था जिसने हत्या कर शव को गायब कर दिया था।
मीरा अपने पति रजत कपूर के साथ लंदन में सेटल हैं, लेकिन अपने बेटे की पुण्यतिथि पर गोवा आई हैं। उनके बेटे की हत्या के जख्म ताजा हो गए हैं।
पुलिस अधिकारी (रजत कपूर) अपने बेटे की आत्मा की शांति के लिए उसके शव का अंतिम संस्कार करना चाहता है।
लेकिन, विजय सालगांवकर ने उन्हें ऐसी जगह दफनाया था, जहां से चाहकर भी उन्हें हटाया नहीं जा सकता था। लेकिन, मां भी लौट आई हैं। उसे केवल चौथी कक्षा तक पढ़ने वाले विजय से ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार से बदला लेना है। उनके साथ पढ़े एक और आईपीएस अधिकारी उनकी कुर्सी पर हैं। लगता है यह अफसर मीरा से भी तेज दिमाग का है।
लेकिन, यहां मामला फिल्मी है। जी हां, विजय सलगावकर की हर चाल कोई न कोई फिल्म की कहानी से निकलकर सामने आती है और इस बार फिल्म की चाल पर फिर से फिल्म पुलिस भारी पड़ी है।
अक्षय खन्ना की इंट्री
फिल्म ‘दृश्यम 2’ में तब्बू और रजत कपूर का काम सीमित है। इस बार अक्षय खन्ना अजय देवगन के खिलाफ कैमरे के सामने आए हैं। अक्षय खन्ना को इस रोल के लिए लेकर अभिषेक पाठक ने भी सही फैसला लिया है। उनकी ऑन-स्क्रीन प्रविष्टि के लिए कनिष्ठ पुलिस कर्मियों के बीच संवादों का उपयोग उनके चरित्र के बारे में दर्शकों की रुचि को बढ़ाता है। अक्षय के चेहरे के भावों के माध्यम से चरित्र का चित्रण भी उत्कृष्ट है।
कमलेश सावंत ने एक बार फिर फिल्म के क्लाइमेक्स को रफ्तार दी है। उनका मराठी लहजा फिल्म की कहानी में जान डालता है। सौरभ शुक्ला फिल्म में पटकथा लेखक बने हैं और अपने किरदार के जरिए फिल्म में जरूरी रोमांच पैदा करने में बखूबी मदद करते हैं। नेहा जोशी ने भी काबिले तारीफ काम किया है।
हर पल रोमांचित करती फिल्म
फिल्म की आत्मा इसकी कहानी में बसती है और इसमें ज्यादा छेड़छाड़ किए बिना अभिषेक और अमिल ने एक बेहतरीन हिंदी रूपांतरण बनाया है। यह जोड़ी हिट द फर्स्ट केस के हिंदी रीमेक के चरमोत्कर्ष की तरह कुछ भी बेवकूफी करने से दूर रही और फिल्म हालांकि मूल की एक फ्रेम से फ्रेम कॉपी है, लेकिन चरमोत्कर्ष अभिषेक द्वारा निर्मित और प्रस्तुत किया गया है। फिल्म के किरदार अपने रंग बदलते रहते हैं और इन्हीं बदलते रंगों से ही फिल्म ‘दृश्यम 2’ का इंद्रधनुष बनता है.
सबसे ज्यादा मजे की बात यह है कि सात साल बाद भी पार्ट 2 में लगभग वही स्टार कास्ट है, लेकिन कोई भी कलाकार अपने किरदार से बाहर नहीं दिखता है। अजय देवगन एक साधारण आदमी के असाधारण बनने की अवधारणा पर खरा उतरते हैं। उनका अभिनय सहज लगता है। नए किरदार के रूप में अक्षय खन्ना का अभिनय फिल्म के लिए फायदेमंद साबित होता है।
ऐसे घमंडी पुलिस वाले का रोल उन्हें काफी जंचता है। तब्बू अपने किरदार को दमदार तरीके से निभाती हैं। इस बार श्रिया सरन को ज्यादा और इशिता दत्ता को थोड़ा कम स्क्रीन स्पेस मिला है, लेकिन दोनों ने अपने किरदारों में जान डाल दी है। रजत कपूर हमेशा की तरह स्वाभाविक अभिनय शैली को सामने लाते हैं। सौरव शुक्ला लेखक की भूमिका में जंचते हैं।
नेहा जोशी के अलावा मृणाल जाधव, इंस्पेक्टर गायतोंडे भी इस बार अपनी एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी के दम पर कहानी में लाइट मोमेंट लाते हैं।
यह फिल्म ऐसी है कि परिवार के साथ इसका पूरा लुत्फ उठाया जा सकता है।